आज इस पोस्ट में computer buses and its types के बारे में बताने जा रहा हूं।
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computer buses and its types |
एड्रेस बस Address bus
एक या एक से अधिक पैरेलेल सिग्नल लाइन्स के द्वारा बनी होती है। CPU के द्वारा यह लाइन मेमोरी लोकेशन के उस एड्रेस को भेजने का काम आती है। जहां की डाटा लिखा पढ़ा जाना होता है। ये एड्रेस हमेशा CPU के द्वारा दिए जाते हैं। इसलिए ये यूनिडायरेक्शन(Unidirectional) होते हैं। और यह CPU की एड्रेस लाइन की क्षमता पर निर्भर करता है। की कितनी मेमोरी एड्रेस दे सकता है।![]() |
Address bus |
जैसे 16 एड्रेस लाइन का CPU216 अर्थात इस प्रकार के CPU द्वारा ज्यादा से ज्यादा 65536 मेमोरी लोकेशन एड्रेस की जा सकती है। जब CPU के द्वारा किसी Port से डाटा लिखा या फिर पढ़ा जाता है। तो यह पोर्ट्स एड्रेस भी इसी एड्रेस बस के माध्यम से भेजता है।
डाटा बस Data bus
यह भी एक या एक से अधिक पैरेलेल सिग्नल लाइन्स द्वारा बनी हुई होती है। इसमें डाटा दोनों ओर से भेजा जा सकता है। CPU में इनपुट के लिए या फिर CPU से आउटपुट के लिए। यह डाटा लाइन हमेशा बाय-डायरेक्शनल(Bi-directional) होती है। और उन्हें चित्रित करते समय दोनों सिरों पर एरो(↔) के निशान लगाए जाते हैं। यानी CPU के द्वारा मेमोरी से डाटा रीड भी किया जा सकता है, और मेमोरी में डाटा इन्हीं लाइनों के माध्यम से लिखा भी जा सकता है।कंट्रोल बस Control bus
कंट्रोल बस पर कंट्रोल सिग्नल CPU के द्वारा जरुरत के अनुसार डाटा पढ़ने या फिर लिखने के लिए मेमोरी अथवा I/O पोर्ट से एड्रेस बस द्वारा उस लोकेशन को एड्रेस भेजा जाता है। एक कंट्रोल सिग्नल भी कंट्रोल बस द्वारा भेजा जाता है।जैसे : एक मेमोरी एक्टिंग रीड सिग्नल(Memory active read signal) का मतलब है, कि CPU मेमोरी में से डाटा को पढ़ेगा और उसकी लोकेशन, एड्रेस बस के द्वारा निर्धारित की जाएगी। कंट्रोल सिग्नल कई तरह के हो सकते हैं।
जैसे :
Memory Read, Memory Write, I/O Read, I/O Write इत्यादि।
I/O पोर्ट
कंप्यूटर के द्वारा समय-समय पर डाटा सीपीयू से बाहर और बाहर से अंदर लेने की जरूरत पड़ती है। यह काम इन्हीं पोर्ट्स के द्वारा किया जाता है। हकीकत में भौतिक रूप में कंप्यूटर में लगे होते हैं। जो कि कंप्यूटर को Buses की सहायता से दूसरे कंप्यूटर को डेटा भेजने या फिर लेने का काम करते हैं। यदि सामान्य शब्दों में कहें तो ports कंप्यूटर का गेटवे होते हैं।
कंप्यूटर का मौलिक रूप नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।
मॉनिटर Monitor
मॉनिटर को VDU(Visual Display Unit) के नाम से भी जाना जाता है। यह कंप्यूटर में अलग से जुड़ने वाला डिवाइस होता है। जोकि कंप्यूटर के ऑपरेशन और परिणामों को दर्शाता है। यह मॉनिटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं।1. ब्लैक एंड वाइट(Monochrome) और 2. कलर (Color)
हर एक monitor में 25 लाइनों को 80करेक्टर लाइन के मैट्रिक्स में दर्शाने की क्षमता होती है। मॉनीटर्स की निम्नलिखित श्रेणियाँ बाजार में पाई जाती हैं।
1. मोनोक्रोम डिस्प्ले (Monochrome display)
2. मोनोक्रोम ग्राफिक डिस्प्ले (Monochrome graphic display)
3. कलर ग्राफिक डिस्प्ले (Color Graphic Display)
4. एन्हांस्ड ग्राफिक्स डिस्प्ले (Enhanced Graphics Display)
5. वीडियो ग्राफिक डिस्प्ले (Video graphic display)
बताई गई विभिन्न प्रकार के श्रेणियों के मॉनिटर में resolution के आधार पर विभिन्नताएं होती हैं। प्रोफेशनल हाई रेजुलेशन मॉनीटर्स पर ग्राफिक या अन्य प्रारंभिक पीढ़ियों के मॉनिटर की तुलना में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
हाई रेजुलेशन का मतलब बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी से होता है। प्रोफेशनल ग्राफ़िक डिस्प्ले में resolution सबसे ज्यादा होता है। अच्छी डिस्प्ले क्वालिटी ना होने के कारण शुरू की 4 श्रेणी के मॉनिटर आज के बाजार में प्रचलित नहीं है।
कीबोर्ड keyboard
यह भी कंप्यूटर में जोड़ने वाला डिवाइस होता है। जो कंप्यूटर को अक्षरों के रूप में इनपुट प्रदान करता है। मुख्य रूप से कीबोर्ड में 101 कीज्स होते हैं। जो कि 128ASCII(American Standard for Code Information Interchange) अमेरिकन स्टैंडर्ड ऑफ इन्फॉर्मेशन इंटरचेंजकोड जनरेट करने की क्षमता रखते हैं। कीबोर्ड को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1. फंक्शन कीज
2. न्यूमेरिक कीपैड
3. अल्फा न्यूमेरिक कीपैड
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